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    कौन हैं Lakshya Sen जिन्होंने thomas cup जिताकर भारत को दिलाई ऐतिहासिक जीत

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 15 May 2022 08:09 PM (IST)

    लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) को छह वर्ष के उम्र में मैदान पर उतारने में दादा जी का बड़ा योगदान रहा। दादा ने हाथ पकड़कर पोते लक्ष्य को बैडमिंटन पकड़ना सिखाया। पिता और दादा जी के नक्शे पर चले लक्ष्य ने भी बैडमिंटन में ही प्रतिभा दिखाई।

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    लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) को छह वर्ष के उम्र में मैदान पर उतारने में दादा जी का बड़ा योगदान रहा।

    नैनीताल, जागरण संवाददाता : भारतीय बैटमिंटन खिलाड़ियों ने थॉमस कप (thomas cup) जीतकर इतिहास रच दिया है। इस जीत का आधार बने उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के निवासी शटलर लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) । लक्ष्य सेन ने पहले ही मैच में इंडोनेशिया के ओलम्पिक मेडलिस्ट गिंटिंग को 9-21,21-17 व 21-16 से हरा कर जीत की बुनियाद रख दी थी। उसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने पीछे मुड़कर नही देखा। चलिए जानते हैं कौन है लक्ष्य सेन जिनकी तारीफ पहले भी पीएम मादी और सचिन तेंदुलकर कर चुके हैं।

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    दादा और पिता भी खेल चुके हैं बैडमिंटन

    अल्मोड़ा जिले के मध्यम वर्गी परिवार से निकले लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) का जन्म 16 अगस्त 2001 को हुआ। उनका परिवार 80 वर्षों से अधिक समय से अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में रह रहा है। उनके दादा जी सीएल सेन जिला परिसद में नौकरी करते थे। दादा ने सिविल सर्विसेस में राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। वहीं कई खिताब अपने नाम किए। जबकि पिता डीके सेन भी वर्तमान में कोच हैं। पहले वह साई के कोच थे।

    छह साल की उम्र से खेल रहे लक्ष्य

    लक्ष्य को छह वर्ष के उम्र में मैदान पर उतारने में दादा जी का बड़ा योगदान रहा। दादा ने हाथ पकड़कर पोते लक्ष्य को बैडमिंटन पकड़ना सिखाया। पिता और दादा जी के नक्शे पर चले लक्ष्य ने भी बैडमिंटन में ही प्रतिभा दिखाई। लक्ष्य ने जिला, राज्य के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम किए। इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पैट जमाई। 10 वर्ष की उम्र में लक्ष्य ने इजराइल में पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब स्वर्ण पदक के रूप में जीता था।

    बडे़ भाई च‍िराग भी शटलर

    वह अपने बड़े भाई अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग से भी प्रेरित हुए। माता निर्मला सेन पूर्व में निजी स्कूल में शिक्षिका थी। 2018 में लक्ष्य के पिता ने डीके सेन ने वीआरएस ले लिया था। माता ने भी स्कूल छोड़ बच्चों के प्रशिक्षण के लिए परिवार समेत बंगलुरू में शिफ्ट हो गए थे। वहां लक्ष्य और चिराग ने प्रशिक्षण लिया और पिता डीके सेन भी प्रकाश पादूकोण अकादमी में सीनियर कोच हैं।

    इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे

    लक्ष्य सेन आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पांचवें भारतीय शटलर हैं। उनसे पहले 1947 में प्रकाश नाथ, 1980 में प्रकाश पादुकोण और 2001 में पुलेला गोपीचंद चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे। महिला वर्ग में साइना नेहवाल भी 2015 में इस प्रतिस्पर्द्धा का फाइनल खेल चुकी हैं। लक्ष्य सेन बैडमिंटन के विख्यात विमल कुमार, पुलेला गोपीचंद और योंग सूयू से प्रशिक्षण ले चुके हैं।

    जानिए लक्ष्य सेन की उपलब्धियां

    लक्ष्य ने लिनिंग सिंगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज में स्वर्ण, इजरायल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिंगल में स्वर्ण, इंडिया इंटरनेशनल सीरीज के सीनियर वर्ग में स्वर्ण, योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में रजत, डच जूनियर में कांस्य, यूरेशिया बुल्गारियन ओपन में स्वर्ण, ऐशिया जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, यूथ ओलंपिक में रजत, वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक समेत कई राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया है।

    पीएम मोदी और तेंदुलकर ने की थी प्रशंसा

    लक्ष्य सेन इसी साल मार्च में हुए योनेक्स आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच गए थे। लेकिन फाइनल में कड़े मुकाबले में वह दुनिया के नंबर एक और ओलंपिक चैंपियन विक्‍टर एक्‍सेलसेन से वह मात खा गए। जिसके बाद पीएम मोदी और सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर उनका हौसला बढ़ाया है। दोनों अपने ट्वीट में कहा है कि आप पर देश को गर्व हैं।

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